राज्य के तीनों अंगों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहकर कार्य करना चाहिए : लोकसभा अध्यक्ष

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नई दिल्ली/रायपुर, 20 जनवरी (आईएएनएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारतीय संविधान द्वारा राज्य के तीनों अंगों को संविधान से ही शक्ति मिलने की बात कहते हुए सभी को अपनी-अपनी संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहकर कार्य करने की नसीहत दी है। बिरला के इस बयान को न्यायपालिका के लिए कड़ी नसीहत के तौर पर देखा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में विधान सभा सदस्यों के लिए दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करने के बाद मीडिया से बात करते हुए एक सवाल के जवाब में लोक सभा अध्यक्ष बिरला ने सभी अंगों को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर ही काम करने की नसीहत देते हुए कहा कि राज्य के तीनों अंगों को संवैधानिक सीमाओं के भीतर रहकर कार्य करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि चूंकि राज्य के तीनों अंगों को उनकी शक्तियां संविधान से प्राप्त होती हैं, इसलिए इन अंगों की शक्तियों और कार्यों में दोहराव नहीं होना चाहिए। इससे पहले प्रबोधन कार्यक्रम में बोलते हुए बिरला ने विधान मंडलों में गरिमा और शालीनता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।

उन्होंने विधायकों से लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त करने के लिए सदन के मंच का उपयोग करने का आग्रह किया। भारत के समृद्ध संसदीय लोकतंत्र के बारे में बात करते हुए बिरला ने कहा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति और असहमति संसदीय लोकतंत्र की आत्मा है, लेकिन, असहमति संसदीय गरिमा और मर्यादा के स्थापित मापदंडों के भीतर व्यक्त की जानी चाहिए।

उन्होंने राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर सभी सदस्यों को लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मिलकर काम करने की भी नसीहत दी। सदन में आसन की गरिमा को सर्वोपरि बताते हुए, बिरला ने कहा कि सदन के दोनों पक्षों के सदस्यों को आसन के निर्णयों का सम्मान करना चाहिए। पीठासीन अधिकारी के सम्मान से लोकतांत्रिक संस्थाओं में लोगों का विश्वास मजबूत होगा।

बिरला ने सदस्यों को व्यवधान की रणनीति को नकारने तथा बहस और चर्चा का रास्ता अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि सदन में सार्थक बहस से लोगों की समस्याओं के समाधान का मार्ग प्रशस्त होगा। छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्यों को ऐसा आचरण करना चाहिए जो अन्य विधान सभाओं के लिए मिसाल बने। उन्होंने इस बात पर खुशी व्यक्त की कि नवगठित विधान सभा में महिला विधायकों की संख्या पिछली विधान सभा की तुलना में 18 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई है।

बिरला ने इस बात का उल्लेख किया कि अधिक प्रभावी विधायक बनने के लिए उन्हें विविध विषयों और नियमों की जानकारी होनी चाहिए। सदस्यों को सदन में अधिक समय बिताना चाहिए और दूसरों के अनुभव और विशेषज्ञता से सीखना चाहिए। सदस्यों को पता होना चाहिए कि प्रश्नकाल, शून्यकाल, आधे घंटे की चर्चा और स्थगन प्रस्ताव जैसे संसदीय साधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे किया जाए क्योंकि इससे उन्हें विधि निर्माण में मदद मिलेगी। उन्होंने सदस्यों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रभावी ढंग से निर्वहन और लोगों के साथ जुड़ने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की भी सलाह दी।

–आईएएनएस

एसटीपी/एबीएम